Global Cooperative Conference 2024:भारत में आयोजित ग्लोबल कोऑपरेटिव कांफ्रेंस 2024: भारत का सहकारिता के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व
Global Cooperative Conference: दिल्ली में आयोजितGlobal Cooperative Conference 2024 ने भारत को सहकारिता के क्षेत्र में अपनी वैश्विक नेतृत्व भूमिका को और मजबूत करने का एक और महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। यह सम्मेलन ऐतिहासिक था क्योंकि भारत ने पहली बार 130 सालों में ICA जनरल असेंबली और Global Cooperative Conference की मेज़बानी की, जो आज भारत मंडप, नई दिल्ली में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन PM Modi ने किया, जिन्होंने भारत की सहकारिता प्रणाली की सफलता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया और सहकारिता के महत्व को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
भारत का सहकारी मॉडल: सफलता की कहानी
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के उद्घाटन में कहा, “भारत को गर्व है कि वह पहली बार ICA जनरल असेंबली और ग्लोबल कोऑपरेटिव कांफ्रेंस की मेज़बानी कर रहा है। यह हमारे सहकारी आंदोलन की सफलता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण मौका है।” भारत में सहकारी संस्थाएँ न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, बल्कि अमूल, नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) और सहकारी बैंक जैसे संगठनों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बना रही हैं।
भारत के सहकारी मॉडल ने अमूल के उदाहरण से यह साबित किया है कि सहकारी संस्थाएँ कैसे देश को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बना सकती हैं। अमूल ने भारत को दूध उत्पादन में वैश्विक नेता बना दिया और लाखों किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। साथ ही, भारत के स्वयं सहायता समूह (SHGs) ने महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त किया, जिससे सामाजिक समावेशन और समृद्धि को बढ़ावा मिला।
भारत की सहकारी नीति और वैश्विक प्रभाव
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी नीति 2020 के तहत सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस नीति के माध्यम से सहकारी संगठनों को वित्तीय सहायता, प्रौद्योगिकी, और बेहतर प्रबंधन प्रणाली के जरिए काम करने के अधिक अवसर मिले हैं।
भारत के सहकारी मॉडल की सफलता ने इसे दुनियाभर के देशों के लिए एक आदर्श बना दिया है। वैश्विक मंच पर भारत का सहकारी मॉडल अब न केवल आर्थिक विकास के लिए, बल्कि सामाजिक समावेशन और विकासात्मक न्याय को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
Global Cooperative Conference: भारत में आयोजित इस सम्मेलन का वैश्विक महत्व
भारत के द्वारा ICA General Assembly India 2024 और Global Cooperative Conferenceकी मेज़बानी किए जाने का महत्व इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि यह पहला मौका था जब 130 सालों में भारत ने इस आयोजन की मेज़बानी की। यह सम्मेलन भारत के सहकारी संगठनों के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करता है और देश की भूमिका को सहकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मान्यता दिलाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “भारत का सहकारी आंदोलन दुनिया को यह दिखा रहा है कि आर्थिक विकास, सामाजिक समावेशन और स्थिरता के लिए सहकारिता एक मजबूत और सशक्त तरीका हो सकता है।” इस सम्मेलन के माध्यम से भारत ने सहकारी संस्थाओं की ताकत और महत्व को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया, जिससे न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के देशों को इस मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरणा मिली।
सहकारी संस्थाओं में प्रौद्योगिकी का योगदान
ग्लोबल कोऑपरेटिव कांफ्रेंस में यह भी चर्चा हुई कि किस प्रकार सहकारी संस्थाएँ प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही हैं। भारत में सहकारी संगठनों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म, मोबाइल एप्स, और ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग कर अपने कार्यों को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया है। इससे न केवल किसानों को बेहतर सेवाएँ मिल रही हैं, बल्कि फिनटेक सेवाओं का भी विस्तार हो रहा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहा है।
भारत के सहकारी संगठनों ने डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन संगठनों द्वारा किसानों को मोबाइल ऐप्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेहतर बाजार और वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है और पारदर्शिता बढ़ी है।
जलवायु परिवर्तन और सहकारिता
सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर भी गहरी चर्चा हुई। भारत में सहकारी संस्थाएँ किसानों को सतत कृषि प्रथाओं और जलवायु अनुकूल तकनीकों से अवगत कराकर उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “हमारे सहकारी संगठन अब केवल आर्थिक क्षेत्र में नहीं, बल्कि पर्यावरण और जलवायु के मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं। सहकारिता के द्वारा हम किसानों को जलवायु संकट से निपटने के लिए तैयार कर रहे हैं।”
भविष्य में सहकारिता का महत्व
ग्लोबल कोऑपरेटिव कांफ्रेंस में यह निष्कर्ष निकला कि भविष्य में सहकारिता का महत्व और भी बढ़ेगा। भारत में सहकारी संस्थाएँ अब न केवल कृषि, स्वास्थ्य, और शिक्षा क्षेत्रों में, बल्कि आवास और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ओर संकेत करते हुए कहा, “भारत का सहकारी मॉडल अब न केवल अपने देश में, बल्कि पूरी दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।”