Earth का झुकाव और घुमाव Groundwater Pumping के कारण बदल रहे हैं
हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक हैरान कर देने वाली खोज की है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों में पृथ्वी का झुकाव करीब 31.5 इंच (80 सेंटीमीटर) बढ़ गया है, और इसका मुख्य कारण भूमिगत जल का अत्यधिक शोषण है। यह खोज इस बात को साबित करती है कि इंसान की गतिविधियाँ—खासकर जल का ज्यादा उपयोग और पुनर्वितरण—पृथ्वी के आकार और उसके घुमाव पर असर डाल सकती हैं, और इसके साथ-साथ समुद्र स्तर में भी वृद्धि हो रही है।
यह अध्ययन Geophysical Research Letters में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि भूमिगत जल, जिसे ज्यादातर खेती और शहरी जरूरतों के लिए निकाला जाता है, पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (rotational pole) में बदलाव का एक बड़ा कारण बन रहा है। इस शोध ने 2016 में नासा द्वारा किए गए अध्ययन को और विस्तार से समझाया, जिसमें जल के वितरण और पृथ्वी के घुमाव के बीच के रिश्ते को दिखाया गया था। इस नए अध्ययन में बताया गया है कि भूमिगत जल के कारण पृथ्वी के ध्रुवीय गति (polar motion) में जो बदलाव हुए हैं, उनका असर पहले की तुलना में कहीं अधिक गंभीर है।
Groundwater: पुनर्वितरण से पृथ्वी का घुमाव कैसे बदलता है
पृथ्वी के घुमाव का आइडिया थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह एक सचमुच की और मापने योग्य घटना है। जैसे एक घूमते हुए टॉप (सिलिंडर) का संतुलन बदलता है जब उसपर थोड़ा वजन डाला जाता है, वैसे ही जब पृथ्वी के आसपास का द्रव्यमान (mass) बदलता है, तो उसका घुमाव भी प्रभावित होता है। पृथ्वी का द्रव्यमान समान रूप से नहीं फैला होता, और जब हम भूमिगत जल निकालकर उसे समुद्रों में डालते हैं, तो इससे पृथ्वी का संतुलन बदलता है।
वैज्ञानिक पहले से जानते थे कि Earth पर जल और द्रव्यमान का वितरण उसकी गति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन अब यह साबित हो चुका है कि भूमिगत जल का पुनर्वितरण इसका सबसे बड़ा कारण है। सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के भूभौतिक वैज्ञानिक की-वोन सिओ कहते हैं, “हमारे अध्ययन से यह साफ हो गया है कि जलवायु संबंधी कारणों में भूमिगत जल का पुनर्वितरण Earth के घूर्णन में बदलाव लाने में सबसे बड़ा कारण है।”
जब बड़ी मात्रा में Groundwater किसी जगह से निकाला जाता है और समुद्र में बह जाता है, तो यह पृथ्वी के द्रव्यमान के वितरण को बदलता है। यह बदलाव पृथ्वी के घुमाव को प्रभावित करता है। हालांकि यह बदलाव छोटे होते हैं, लेकिन इन्हें मापा जा सकता है। 31.5 इंच का (tilt) झुकाव, जो करीब 0.24 इंच समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ा है, जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
Groundwater शोषण का पैमाना
यह अध्ययन 1993 से 2010 तक के डेटा पर आधारित है, जिसमें लगभग 2150 गीगाटन (gigaton) भूमिगत जल निकाला (pumping) गया। यह जल ज्यादातर उन जगहों से निकाला गया है, जहां पानी की कमी है, और इसका उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई और घरेलू जरूरतों के लिए किया गया। समय के साथ, यह जल समुद्रों में बह जाता है और समुद्र स्तर में योगदान करता है, साथ ही Earth के द्रव्यमान के पुनर्वितरण में भी योगदान करता है।
वैज्ञानिकों ने जल के पुनर्वितरण और इसके प्रभाव को मॉडलिंग तकनीकों से सिमुलेट किया। केवल वही मॉडल सही साबित हुआ, जो 2150 गीगाटन जल के पुनर्वितरण को ध्यान में रखता था। सिओ के मुताबिक, यह निष्कर्ष पृथ्वी के घुमाव और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने में एक अहम कदम है।
जल के पुनर्वितरण का भौगोलिक प्रभाव
यह अध्ययन यह भी बताता है कि जल का पुनर्वितरण हमेशा एक जैसा असर नहीं डालता। शोध में पाया गया कि पृथ्वी के झुकाव में सबसे बड़ा बदलाव तब होता है जब जल को मध्य अक्षांश (mid-latitude) क्षेत्रों से निकाला जाता है, जैसे पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी भारत। इन क्षेत्रों से जल निकालने के बाद, यह समुद्रों में बहकर पृथ्वी के घुमाव में बदलाव लाता है।
इन क्षेत्रों से पानी निकालने के बाद, यह जल महासागरों में चला जाता है, जिससे पृथ्वी का द्रव्यमान बदलता है और घुमाव में फर्क आता है। जल के पुनर्वितरण से स्थानीय जल भंडार कम होते हैं, और इस बदलाव के कारण पृथ्वी के घुमाव पर असर पड़ता है।
समुद्र स्तर और Climate Change पर प्रभाव
इन निष्कर्षों के परिणाम बहुत गंभीर हैं। हालांकि पृथ्वी का झुकाव एक वैज्ञानिक जिज्ञासा की तरह लगता है, लेकिन इसका असल में समुद्र स्तर पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। यह सूक्ष्म बदलाव, जो भूमिगत जल के पुनर्वितरण के कारण हो रहे हैं, समुद्र स्तर में वृद्धि से सीधे जुड़े हुए हैं, जो जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।
यह शोध यह भी बताता है कि जल संसाधनों का प्रबंधन पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। जैसे-जैसे भूमिगत जल का शोषण बढ़ता जा रहा है, यह अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कैसे कम किया जा सकता है। अगर जल प्रबंधन को बेहतर किया जाए, तो इससे पृथ्वी के घुमाव और समुद्र स्तर की वृद्धि पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
संरक्षण और जल प्रबंधन की आवश्यकता
यह अध्ययन दर्शाता है कि जल प्रबंधन को और अधिक सतत और कुशल बनाना अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। जैसे-जैसे वैज्ञानिक जल, पृथ्वी के घुमाव और समुद्र स्तर की बढ़ती समस्या को समझने में जुटे हैं, यह स्पष्ट हो रहा है कि जल का सही तरीके से प्रबंधन और संरक्षण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए बेहद अहम है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि भूमिगत जल के शोषण और पृथ्वी के घुमाव पर इसके प्रभाव को समझने से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष में नई दिशा मिल सकती है। अगर हम जल प्रबंधन को बेहतर करें, तो इससे समुद्र स्तर की वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिल सकती है।
समावेशी शिक्षा Inclusive Education #ctet2024
जलवायु परिवर्तन के इस चुनौतीपूर्ण समय में, पृथ्वी के घुमाव और जलवायु के बीच के रिश्ते को समझना और जल प्रबंधन में सुधार करना एक महत्वपूर्ण कदम है।