Gaganyaan: भारत का गगनयान मिशन 2025 में बिना चालक के लॉन्च होगा, ये मैन मिशन की दिशा में अहम कदम है ।
India का गगनयान मिशन, जो 2026 तक इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का सपना देख रहा है, अब अपने पहले बड़े कदम की ओर बढ़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मार्च 2025 में बिना चालक के पहला मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है। यह मिशन ISRO के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे वे अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक तकनीकों और सिस्टम्स को परख सकेंगे, जो 2026 में चालक मिशन के लिए इस्तेमाल होंगे।
Gaganyaan: भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नई शुरुआत
यह बिना चालक वाला मिशन श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होगा। इसमें भेजा गया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के चारों ओर करीब 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर परिक्रमा करेगा और फिर भारतीय समुद्र में पानी में लैंड करेगा। हालांकि यह मिशन बिना क्रू के होगा, लेकिन इसका सफल होना गगनयान मिशन के लिए जरूरी तकनीकों की जांच करेगा, जिसमें 2026 में मानवों को भी अंतरिक्ष में भेजने की योजना है।
ISRO के अनुसार, इस मिशन के दौरान एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग भी किया जाएगा, जो 1 मार्च 2025 से लेकर 31 अगस्त 2025 के बीच किया जाएगा। इस प्रयोग के जरिए अंतरिक्ष यान के संचालन को जांचने और भविष्य के चालक मिशन के लिए तैयार करने का काम किया जाएगा।
India: वैज्ञानिकों को समुद्र में भेजा जाएगा निगरानी के लिए
मिशन की निगरानी और डेटा इकट्ठा करने के लिए ISRO दो जहाजों पर वैज्ञानिकों को भेजेगा, जो प्रशांत महासागर और उत्तरी अटलांटिक महासागर में अलग-अलग स्थानों पर तैनात होंगे। इन जहाजों में अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण जैसे शिपबॉर्न टर्मिनल (SBT) और MV-SAT एंटीना लगाए जाएंगे, ताकि मिशन कंट्रोल सेंटर से लगातार संपर्क बना रहे।
प्रशांत और अटलांटिक महासागर के ये स्थान इस मिशन की निगरानी के लिए रणनीतिक रूप से चुने गए हैं। इन जहाजों पर कुल 16 वैज्ञानिक सवार होंगे, जिनमें से 8 वैज्ञानिक एक जहाज पर और बाकी 8 दूसरे जहाज पर होंगे। इन जहाजों को भारत से भेजा जाएगा और इन्हें अपने निर्धारित स्थानों तक पहुंचने में लगभग दो हफ्ते का समय लग सकता है। इसके बाद, ये जहाज तीन दिन तक अंतरिक्ष यान की निगरानी करेंगे।
इन जहाजों से एक साथ डेटा भेजा जाएगा, जो ISRO के बेंगलुरू स्थित मिशन कंट्रोल सेंटर, MOX-ISTRAC और SCC-ISTRAC से जोड़ा जाएगा। इन दोनों केंद्रों ने चंद्रयान-3 मिशन में भी अहम भूमिका निभाई थी, इसलिए इनसे डेटा के आदान-प्रदान के लिए हाइब्रिड कम्युनिकेशन सर्किट का इस्तेमाल किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और लॉजिस्टिक सपोर्ट
यह मिशन सिर्फ भारत के अंदर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समन्वय और सहयोग का उदाहरण पेश करेगा। ISRO को अपनी तकनीकी सामग्री को विदेश भेजने के लिए भारत के नजदीकी बंदरगाह से न्यूयॉर्क पोर्ट तक शिपमेंट भेजना होगा। न्यूयॉर्क से फिर एक चार्टर जहाज अटलांटिक महासागर के उस स्थान तक पहुंचेगा, जहां से वह मिशन की निगरानी करेगा। यह यात्रा लगभग 13-14 दिन ले सकती है।
Man Mission की ओर कदम
यह बिना चालक वाला मिशन केवल अंतरिक्ष यान की जांच के लिए नहीं है, बल्कि यह गगनयान के मैन मिशन के लिए जरूरी तैयारी का हिस्सा भी है। 2026 में जब भारत अपने पहले चालक मिशन के लिए अंतरिक्ष में मानव भेजेगा, तब इस मिशन का अनुभव काफी मददगार साबित होगा।
इस समय, गगनयान मिशन के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री पहले ही ट्रेनिंग ले रहे हैं, ताकि वे अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हो सकें। बिना चालक वाले मिशन की सफलता न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमता को साबित करेगी, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का विषय बनेगी।
Gaganyaan Mission की शुरुआत के साथ भारत एक नए अंतरिक्ष युग की ओर कदम बढ़ा रहा है, और इस मिशन के हर छोटे से बड़े कदम से हमें यह दिख रहा है कि भारत अंतरिक्ष में नई ऊँचाइयाँ छूने के लिए पूरी तरह से तैयार है।