Syria Falls: सीरिया का पतन और रूस-यूक्रेन युद्ध पर उसका प्रभाव
सीरिया में एक बड़े बदलाव के तहत, राष्ट्रपति Bashar al-Assad का शासन खत्म हो गया है। इस्लामिक विद्रोही समूहों ने दमिश्क पर तेज़ी से कब्जा कर लिया और असद को देश से भागने पर मजबूर कर दिया। इस घटनाक्रम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है और अब यह सवाल उठ रहा है कि सीरिया का यह पतन रूस-यूक्रेन युद्ध को कैसे प्रभावित कर सकता है।
सीरिया में Bashar al-Assad शासन का अंत
Syria में पिछले कई वर्षों से युद्ध चल रहा था, जिसमें असद शासन को रूस और Iran जैसे देशों से सैन्य मदद मिल रही थी। पिछले कुछ सालों में युद्ध की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई थी, और विद्रोही मुख्य रूप से इदलिब प्रांत में सीमित थे। लेकिन अब, अचानक, विद्रोही समूहों ने तेज़ी से बढ़त बनाई है और असद का शासन समाप्त कर दिया है।
यह बदलाव न केवल सीरिया के लिए बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है। इस बदलाव के साथ-साथ रूस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है।
Russia का सीरिया में योगदान और उसकी ताकत
Russia का Syria में बहुत बड़ा सैन्य दखल था। 2015 में, रूस ने असद शासन को बचाने के लिए सीरिया में सैन्य अभियान शुरू किया था, जिससे असद को कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर पुनः कब्जा पाने में मदद मिली। रूस का तट पर स्थित तर्तूस में नौसैनिक अड्डा और हमीमिम एयर बेस, दोनों सीरिया में उसकी सैन्य उपस्थिति को मजबूत करते थे। ये रूस के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण थे।
लेकिन अब, Assad शासन के गिरने के बाद, रूस को अपने इन महत्वपूर्ण अड्डों को खोने का डर है। अगर सीरिया में असद का शासन समाप्त हो जाता है, तो रूस की इन सैन्य बेसों पर भी पकड़ कमजोर हो सकती है।
Syria Falls: सीरिया के पतन का Russia-Ukraine War पर प्रभाव
Russia, जो पहले ही Ukraine में युद्ध लड़ रहा है, अब एक और संकट का सामना कर रहा है। रूस ने सीरिया से बहुत सारे सैनिक और हथियार यूक्रेन में भेजे हैं, जैसे कि पैंट्सिर मिसाइल सिस्टम, जो पहले सीरिया में तैनात थे। इस वजह से रूस की सैन्य ताकत Ukraine में बढ़ी है, लेकिन दूसरी तरफ सीरिया में उसकी स्थिति कमजोर हो रही है।
यूक्रेन की सरकार ने सीरिया में असद शासन के पतन को लेकर बयान दिया है कि रूस दो मोर्चों पर युद्ध नहीं लड़ सकता। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हीओर्ही टाइखी ने कहा कि “रूस अब दो जगहों पर एक साथ युद्ध नहीं लड़ सकता, यह सीरिया के घटनाक्रम से साफ़ हो गया है।”
रूस के लिए अब यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि वह अपनी सैन्य ताकत सीरिया और यूक्रेन दोनों जगहों पर कैसे बनाए रखेगा।
रूस की सैन्य कमजोरी और उसके असर
रूस की सैन्य स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है, खासकर यूक्रेन युद्ध में भारी नुकसान के बाद। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, नवंबर 2023 में रूस के लिए अब तक का सबसे कठिन महीना रहा, जिसमें औसतन हर दिन 1500 से ज्यादा सैनिक मारे गए या घायल हुए।
चार्ल्स लिस्टेर, एक सीरिया विशेषज्ञ, का कहना है कि रूस ने सीरिया में अपने सैनिकों की संख्या तो कम नहीं की, लेकिन अब उनकी स्थिति पहले जैसी नहीं रही। सबसे बड़ी समस्या यह है कि रूस अब अपनी वॉनगर ग्रुप जैसी सैन्य मदद से भी वंचित हो गया है, जो पहले सीरिया में सक्रिय थी।
Russia के लिए बढ़ते संकट
अगर सीरिया में असद का शासन खत्म होता है, तो रूस को सीरिया में अपनी उपस्थिति बनाए रखना और भी मुश्किल हो जाएगा। रूस की सैन्य ताकत अब पूरी तरह से यूक्रेन पर केंद्रित हो चुकी है, और सीरिया में उसकी स्थिति कमजोर हो रही है। इसके कारण, रूस को अपने हमीमिम एयर बेस और तर्तूस नौसैनिक अड्डे को छोड़ने का खतरा हो सकता है, जो उसकी वैश्विक शक्ति और प्रभाव को भी कमजोर कर सकते हैं।
नतीजा: रूस की बढ़ती मुश्किलें
सीरिया का पतन और असद शासन का अंत रूस के लिए एक बड़ा झटका है। यह न केवल सीरिया में रूस के प्रभाव को खत्म कर सकता है, बल्कि रूस को यूक्रेन युद्ध में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। सीरिया से सैन्य संसाधनों की वापसी और रूस की बढ़ती सैन्य कमजोरी उसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक कमजोर स्थिति में डाल सकती है।
रूस को अब दोनों मोर्चों पर अपनी ताकत बनाए रखने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना होगा। सीरिया का पतन रूस के लिए एक बड़ा कूटनीतिक और सैन्य संकट पैदा कर सकता है, जिसका असर केवल मध्य-पूर्व ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
CTET Result
The collapse of Syria and the fall of Assad’s regime have profound implications for Russia. As Moscow faces military overreach in both Syria and Ukraine, it risks losing its strategic influence in the Middle East. The withdrawal of Russian forces from Syria has weakened its presence, threatening key military bases like Tartus and Hmeimim. The loss of Syria could also impact Russia’s ability to fight on two fronts, further complicating its military efforts in Ukraine. This shift marks a significant geopolitical change, with Russia’s power and resources stretched thin, impacting its global standing and regional dominance.